आतंकियों ने सुरक्षाबलों के एक वाहन को निशाना बनाया। जिले के दूरदराज लोहाई मल्हार के बदनोता से सटे इलाके में सुरक्षाबलों के वाहन पर ग्रेनेड फेंकने के बाद सेना के जवानों ने जवाबी कार्रवाई शुरू की। इसके बाद मुठभेड़ जारी रही। उधर, हमले की जानकारी मिलते ही भारी संख्या में सुरक्षाबलों को घटनास्थल की ओर रवाना कर दिया गया है। बिलावर और लोहाई मल्हार से जहां पुलिस पार्टियां तत्काल रवाना कर दी गईं। वहीं एसओजी की टीम के साथ-साथ जिले के विभिन्न थानों से नफरी को भी रवाना कर दिया गया है।
कठुआ के बिलावर उपजिले में बदनोता इलाके में जेंडा नाले के पास सेना के एक वाहन पर आतंकियों ने घात लगाकर हमला कर दिया। आतंकी हमले में पांच जवान शहीद हो गए वहीं कुछ अन्य बुरी तरह से घायल हो गए। घायल जवानों को पीएचसी बदनोता में प्राथमिक उपचार के बाद उपजिला अस्पताल बिलावर में भर्ती करवाया गया है। बनी के ढग्गर इलाके को सेना और पुलिस ने घेर लिया है। जानकारी के अनुसार आतंकियों के सफाए के लिए उधमपुर से भी सुरक्षाबलों को घेराबंदी में लगा दिया गया है। उधर, भारी संख्या में सुरक्षाबलों ने आतंकियों के खिलाफ इलाके में सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है।
एक महीने के भीतर जिले में दूसरा आतंकी हमला
11 जून को हीरानगर के सैडा सोहल इलाके में आतंकी हमले के एक महीने के भीतर ही कठुआ जिले में यह दूसरा आतंकी हमला है। इससे पहले आतंकियों ने हीरानगर के सैडा सोहल गांव में 11 जून को हमला किया था। सुरक्षाबलों ने एक आतंकी को मौके पर ही मौत के घाट उतार दिया था, वहीं दूसरे आतंकी का सफाया 12 जून को कर दिया गया था। आतंकियों से दो लाख से अधिक नकदी और भारी मात्रा में असलहा भी बरामद हुआ था। मौके पर पहुंचे उच्च अधिकारियों ने साफ किया था कि इलाके में और आतंकियों की भी मौजूदगी हो सकती है। उधर, कठुआ जिले के सैडा सोहल के अलावा आतंकियों ने हाल के महीनों में उधमपुर के बसंतगढ़ और कठुआ डोडा सरहद पर छत्रगला में भी हमला किया था।
कठुआ जिले के पहाड़ी इलाके सरथल से सटे छत्रगला और लोहाई मल्हार से सटे बसंतगढ़ में आतंकी हमलों के बाद सेना को इन इलाकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है। बनी और मछेडी दोनों ही इलाकों में सेना की वापसी हुई है। दोनों जगह सेना की एक एक कंपनी तैनात की गई है। ये कंपनियां स्थानीय पुलिस के साथ लगातार पिछले कई दिनों से आतंकियों की तलाश में अभियान चला रही हैं। बदनोता, लोहाई मल्हार, किंडली के इलाके में जहां रूटीन में सर्च ऑपरेशन चलाए जा रहे थे, वहीं ढग्गर की ओर से बनी में तैनात सेना और स्थानीय पुलिस ने मिलकर लगभग एक सप्ताह तक आतंकियों की नुकनाली और आसपास के इलाकों में तलाश की थी।
संवेदनशील है लोहाई मल्हार और बनी का इलाका
बनी और लोहाई मल्हार के इलाके नब्बे के दशक से ही बेहद संवेदनशील रहे हैं। स्लीपर सेल से लेकर मददगारों की इस इलाके में मौजूदगी का फायदा लगभग दो दशक तक आतंकियों ने उठाया है। इसके बाद आतंकियों के लिए बड़े ऑपरेशन चलाए गए और इस इलाके में आतंकियों का सफाया कर दिया गया था। इलाकों को शांतिपूर्ण बताते हुए और आतंकियों की मौजूदगी खत्म होने के बाद सेना को धीरे-धीरे पूरी तरह से हटा लिया गया था। जिले का पहाड़ी सब डिवीजन बनी समेत बिलावर का लोहाई मल्हार इलाका पिछले साढ़े तीन दशक से बेहद संवेदनशील रहा है। 90 के दशक में अंतरराष्ट्रीय सीमा से घुसपैठ के बाद आतंकी नदी नालों से होते हुए जिले के पहाड़ी इलाकों में रुकते रहे। इससे इन इलाकों में उन्होंने दहशत भी बना ली। लोआंग इलाके से कई युवाओं को आतंकी राह पर भी ले जाया गया, जिनका समय के साथ सफाया कर दिया गया। ऐसी ही रणनीति आतंकियों ने लोहाई मल्हार के इलाकों में भी अपनाई लेकिन बीते एक दशक तक आतंक का सेना ने इन इलाकों में पूरी तरह से सफाया किया। बाकायदा मददगारों के रूप में काम कर रहे स्लीपर सेल भी ध्वस्त किए गए। इसके बाद पाकिस्तान ने रणनीति बदल दी थी। हाल फिलहाल की आतंकी वारदातों के बाद साफ हो गया है कि पाकिस्तान एक बार फिर पहाड़ी इलाकों में आतंक को जिंदा करने की फिराक में है। स्थानीय लोगों के अनुसार 90 के दशक की शुरुआत में नई सरथल पुलिस पोस्ट में आतंकियों ने हमला किया था। खुडवा के चुंचली मोड़ पर और लोआंग के सांव नाला बडयाल के पास आईईडी से वाहन भी उड़ाया गया था। वहीं शिरोडी में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में एक आतंकी को भी ढेर किया गया था। लोग बताते हैं कि ढग्गर धमान के इलाके में आतंकी लंबे समय तक सक्रिय रहे हैं। इसी दौर में लोहाई मल्हार में भी कुछ आतंक की राह पकड़कर पाकिस्तान निकल गए। सेना ने कई आतंकियों का सफाया किया तो वहीं इनके बैकअप मॉडयूल को भी ध्वस्त कर दिया गया था।